जगमगाती रात और स्ट्रीट लाइटें

(१)

आज महानगरों की
चमचमाती रातें
देती हैं मात
दिन को
लगता है
समाप्त हो गया
साम्राज्य
अंधेरे का
पर अगर
अंधेरा नहीं रहा
तो क्या महत्व होगा
उजाले का
कैसे समझ आएगी
उसकी उपयोगिता ।

(२ )

रात के अंधेरे में
चमकती
स्ट्रीट लाइट नें कहा
बगल वाली स्ट्रीट लाइट से
लो हमनें 
मिटा दिया अंधेरा
ले लिया जगह
सूरज का
तभी भौंका
गली का कुत्ता
जैसे कह रहा हो
रात में
तेरे उजाले के आलोक में
पनपते रहते हैं
तमाम अपराध
मिलावटखोर
करते रहते धंधा
चोर चोरी
और भी बहुत कुछ
हुँह कहाँ तू
और कहाँ
सूरज ।

©अनुरोध कुमार श्रीवास्तव
बस्ती,उत्तर प्रदेश

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7 Comments

Reyaan

22-Apr-2022 07:31 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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धन्यवाद आपका

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Shrishti pandey

21-Apr-2022 11:38 PM

Nice

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धन्यवाद आपका

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Renu

21-Apr-2022 10:52 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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धन्यवाद आभार आपका

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